Wednesday, April 13, 2022

भीमराव अंबेडकर की जीवन – Dr Babasaheb Ambedkar

भीमराव अंबेडकर का प्रारंभिक जीवन – Dr Babasaheb Ambedkar 

Ambedkar Statue in USA

डॉक्टर भीमराव अंबेडकर – B. R. Ambedkar का जन्म भारत के मध्यप्रांत में हुआ था। 14 अप्रैल 1891 में मध्यप्रदेश के इंदौर के पास महू में रामजी मालोजी सकपाल और भीमाबाई के घर में अंबेडकर जी पैदा हुए थे। जब अंबेडकर जी का जन्म हुआ था तब उनके पिता इंडियन आर्मी में सूबेदार थे और इनकी पोस्टिंग इंदौर में थी।

3 साल बाद 1894 में इनके पिता रामजी मालोजी सकपाल रिटायर हो गए और उनका पूरा परिवार महाराष्ट्र के सातारा में शिफ्ट हो गया। आपको बता दें कि भीमराव अंबेडकर अपनी माता-पिता की 14वीं और आखिरी संतान थे ये अपने परिवार में सबसे छोटे थे इसलिए पूरे परिवार के चहेते भी थे।

भीमराव अंबेडकर – B. R. Ambedkar जी मराठी परिवार से भी तालोक्कात रखते थे। वे महाराष्ट्र के अम्बावाडे़ से संबंध रखते थे जो कि अब महाराष्ट्र के रत्नागिरी जिले में हैं। वे महार जाति यानि की दलित वर्ग से संपर्क रखते थे जिसकी वजह से उनके साथ सामाजिक और आर्थिक रूप से गहरा भेदभाव किया जाता था।

यही नहीं दलित होने की वजह से उन्हें अपने उच्च शिक्षा पाने के लिए भी काफी संघर्ष करना पड़ा था। हालांकि सभी कठिनाइयों को पार करते हुए उन्होनें उच्च शिक्षा हासिल की। और दुनिया के सामने खुद को साबित कर दिखाया।

बाबासाहेब आंबेडकर जी के परिवार का परिचय – B R  Ambedkar Family Tree

यहा आप जान पायेंगे बाबासाहेब जी के परिवार के बारे मे संपूर्ण मुलभूत जानकारी जिसमे हाल मे मौजूद उनके परिवार से जुडे लोगो की जानकारी शामिल है। जैसा के;

  1. मालोजी सकपाल – रामजी सकपाल जी के पिता तथा बाबासाहेब आंबेडकर जी के दादाजी।
  2. रामजी सकपाल – बाबासाहेब जी के पिता।
  3. भिमाबाई रामजी सकपाल – बाबासाहेब जी की माता

अब आगे जानेंगे बाबासाहेब जी के विवाह के बाद जुडे परिवार की जानकारी के बारे मे, इसमे शामिल व्यक्ती है जैसे के;

  1. रमाबाई भिमराव आंबेडकर – बाबासाहेब जी पहली पत्नी।
  2. सविता भिमराव आंबेडकर – बाबासाहेब जी की दुसरी पत्नी।
  3. यशवंत, रमेश, गंगाधर, राजरत्न – बाबासाहेब जी के पुत्र।
  4. इंदू – पुत्री

उपरोक्त दिये गये जानकारी मे बाबासाहेब की कुल ५ संतानो मे से एकमात्र यशवंत ही उनके एकलौते पुत्र जीवित रहे, जिनसे आगे हुये वंश विस्तार तथा परिवार की जानकारी निचे दी गई है।

  1. मिराताई आंबेडकर – बाबासाहेब जी की बहु तथा यशवंत की पत्नी।
  2. प्रकाश आंबेडकर, आनंदराज आंबेडकर, भिमराव आंबेडकर – बाबासाहेब जी के पोते
  3. रमाताई आंबेडकर/तेलतुंबडे – बाबासाहेब जी की पोती
  4. अंजलीताई आंबेडकर, मनीषा आंबेडकर, दर्शना आंबेडकर – यशवंत आंबेडकर जी की बहुये

हाल फिलहाल मे इस परिवार मे मौजूद परपोते/प्रपौत्र की जानकारी निचे दिये हुये प्रकार से है, जैसे के;

  1. सुजात आंबेडकर – बाबासाहेब जी के परपोते तथा प्रकाश आंबेडकर जी के पुत्र।
  2. प्राची और रश्मी – रमाताई आंबेडकर/तेलतुंबडे जी की बेटीया तथा बाबासाहेब जी की परपोतीया।
  3. अमन और साहिल – आनंदराज आंबेडकर जी के बेटे तथा बाबासाहेब जी के परपोते।
  4. हृतीका – भिमराव आंबेडकर जी की बेटी तथा बाबासाहेब आंबेडकर जी की परपोती।

कुल मिलाके इस तरह से बाबासाहेब जी के परिवार से जुडे लोगो की जानकारी आपको यहा हमने दी। जिसमे लगभग परिवार के सभी लोगो को यहा पर शामिल करने का हमारा प्रयास था, जो के अबतक आपने जानकारी के तौर पर पढा।

डॉक्टर भीमराव अंबेडकर जी की शिक्षा – B R Ambedkar Education

डॉक्टर भीमराव जी के पिता के आर्मी में होने की वजह से उन्हें सेना के बच्चों को दिए जाने वाले विशेषाधिकारों का फायदा मिला लेकिन उनके दलित होने की वजह से इस स्कूल में भी उन्हें जातिगत भेदभाव का शिकार होना पड़ा था दरअसल उनकी कास्ट के बच्चों को क्लास रूम के अंदर तक बैठने की अनुमति नहीं थी और तो और यहां उनको पानी भी नहीं छूने दिया जाता था, स्कूल का चपरासी उनको ऊपर से पानी डालकर पानी देता था वहीं अगर चपरासी छुट्टी पर है तो दलित बच्चों को उस दिन पानी भी नसीब नहीं होता था फिलहाल अंबडेकर जी ने तमाम संघर्षों के बाद अच्छी शिक्षा हासिल की।

आपको बता दें कि भीमराव अंबेडकर – B. R. Ambedkar ने अपनी प्राथमिक शिक्षण दापोली में सातारा में लिया। इसके बाद उन्होनें बॉम्बे में एलफिंस्टोन हाईस्कूल में एडमिशन लिया इस तरह वे उच्च शिक्षा हासिल करने वाले पहले दलित बन गए। 1907 में उन्होनें मैट्रिक की डिग्री हासिल की।

इस मौके पर एक दीक्षांत समारोह का भी आयोजन किया गया इस समारोह में भीमराव अंबेडकर की प्रतिभा से प्रभावित होकर उनके शिक्षक श्री कृष्णाजी अर्जुन केलुस्कर ने उन्होनें खुद से लिखी गई किताब ‘बुद्ध चरित्र’ गिफ्ट के तौर पर दी। वहीं बड़ौदा नरेश सयाजी राव गायकवाड की फेलोशिप पाकर अंबेडकर जी ने अपनी आगे की पढ़ाई जारी रखी।

आपको बता दें कि अंबेडकर जी की बचपन से ही पढ़ाई में खासी रूचि थी और वे एक होनहार और कुशाग्र बुद्धि के विद्यार्थी थे इसलिए वे अपनी हर परीक्षा में अच्छे अंक के साथ सफल होते चले गए। 1908 में डॉक्टर भीमराव अंबेडकर – B. R. Ambedkar ने एलफिंस्टोन कॉलेज में एडमिशन लेकर फिर इतिहास रच दिया। दरअसल वे पहले दलित विद्यार्थी थे जिन्होनें उच्च शिक्षा हासिल करने के लिए कॉलेज में दाखिला लिया था।

उन्होनें 1912 में मुबई विश्वविद्यालय से ग्रेजुएशन की परीक्षा पास की। संस्कृत पढने पर मनाही होने से वह फारसी से उत्तीर्ण हुए। इस कॉलेज से उन्होनें अर्थशास्त्र और राजनीति विज्ञान में डिग्री के साथ ग्रेजुएशन की उपाधि प्राप्त की।

फेलोशिप पाकर अमेरिका के कोलंबिया विश्वविद्यालय में लिया दाखिला – Columbia University

भीमराव अंबेडकर को बड़ौदा राज्य सरकार ने अपने राज्य में रक्षामंत्री बना दिया लेकिन यहां पर भी छूआछूत की बीमारी ने उनका पीछा नहीं छोड़ा और उन्हें कई बार निरादर का सामना करना पड़ा। लेकिन उन्होनें लंबे समय तक इसमें काम नहीं किया क्योंकि उन्हें उनकी प्रतिभा के लिए बड़ौदा राज्य छात्रवृत्ति से सम्मानित किया गया था जिससे उन्हें न्यूयॉर्क शहर में कोलंबिया विश्वविद्यालय में पोस्टग्रेजुएशन की डिग्री हासिल करने का मौका मिला। अपनी पढ़ाई आगे जारी रखने के लिए वे 1913 में अमेरिका चले गए।

Ambedkar Statue in USA

Ambedkar Statue in USA

साल 1915 में अंबेडकर – B. R. Ambedkar जी ने अमेरिका के कोलंबिया विश्वविद्यालय से समाजशास्त्र, इतिहास, दर्शनशास्त्र और मानव विज्ञान के साथ अर्थशास्त्र में MA की मास्टर डिग्री हासिल की। इसके बाद उन्होंने ‘प्राचीन भारत का वाणिज्य’ पर रिसर्च की थी। 1916 में कोलंबिया विश्वविद्यालय अमेरिका से ही उन्होंने पीएच.डी. की उपाधि प्राप्त की, उनके पीएच.डी. शोध का विषय ‘ब्रिटिश भारत में प्रातीय वित्त का विकेन्द्रीकरण’ था।

लंदन स्कूल ऑफ इकोनामिक्स एण्ड पोलिटिकल सांइस – University of London

फेलोशिप खत्म होने पर उन्हें भारत लौटना पड़ा। वे ब्रिटेन होते हुए भारत वापस लौट रहे थे। तभी उन्होंने वहां लंदन स्कूल ऑफ इकोनामिक्स एण्ड पोलिटिकल सांइस में एम.एससी. और डी. एस सी. और विधि संस्थान में बार-एट-लॉ की उपाधि के लिए अपना रजिस्ट्रेशन करवाया और फिर भारत लौटे।

भारत लौटने पर उन्होनें सबसे पहले स्कॉलरशिप की शर्त के मुताबिक बड़ौदा के राजा के दरबार में सैनिक अधिकारी और वित्तीय सलाहकार का दायित्व स्वीकार किया। उन्होनें राज्य के रक्षा सचिव के रूप में काम किया।

हालांकि उनके लिए ये काम इतना आसान नहीं था क्योंकि जातिगत भेदभाव और छूआछूत की वजह से उन्हें काफी पीड़ा सहनी पड़ रही थी  यहां तक कि पूरे शहर में उन्हें किराए का मकान देने तक के लिए कोई तैयार नहीं था।

इसके बाद अंबेडकर – B. R. Ambedkar नें सैन्य मंत्री की जॉब छोड़कर, एक निजी शिक्षक और एकाउंटेंट की नौकरी ज्वाइन कर ली। यहां उन्होनें कंसलटेन्सी बिजनेस (परामर्श व्यवसाय) भी स्थापित किया लेकिन यहां भी छूआछूत की बीमारी ने पीछा नहीं छोड़ा और  सामाजिक स्थिति की वजह से उनका ये बिजनेस बर्बाद हो गया।

आखिरी में वे मुंबई वापस लौट गए और जहां उनकी मद्द बॉम्बे गर्वमेंट ने की और वे मुंबई के सिडेनहम कॉलेज ऑफ कॉमर्स एंड इकोनॉमिक (Sydenham College of Commerce and Economic) में राजनैतिक अर्थशास्त्र के प्रोफेसर बन गए। इस दौरान उन्होनें अपनी आगे की पढा़ई के लिए पैसे इकट्ठे किए और अपनी पढ़ाई जारी रखने के लिए साल 1920 में एक बार फिर वे भारत के बाहर इंग्लैंड चले गए।

1921 में उन्होनें लंदन स्कूल ऑफ इकोनामिक्स एण्ड पोलिटिकल सांइस से मास्टर डिग्री हासिल की और दो साल बाद उन्होनें अपना डी.एस.सी की डिग्री प्राप्त की।

आपको बता दें कि डॉक्टर भीमराव अंबेडकर – B. R. Ambedkar ने बॉन, जर्मनी विश्वविद्यालय में भी पढ़ाई के लिए कुछ महीने गुजारे। साल 1927 में उन्होनें अर्थशास्त्र में डीएससी किया। कानून की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होनें ब्रिटिश बार में बैरिस्टर के रूप में काम किया। 8 जून, 1927 को उन्हें कोलंबिया विश्वविद्यालय द्धारा डॉक्टरेट से सम्मानित किया गया था।

छूआछूत और जातिगत भेदभाव, और छूआछूत मिटाने की लड़ाई (दलित मूवमेंट) – Dalit Movement

भारत लौटने पर, उन्होंने देश में जातिगत भेदभाव के खिलाफ लड़ने का फैसला लिया जिसकी वजह से उन्हें कई बार निरादर और अपनी जीवन में इतना कष्ट सहना पड़ा था। अंबेडकर जी ने देखा की छूआछूत और जातिगत भेदभाव किस तरह देश को बिखेर रही थी अब तक छूआछूत की बीमारी काफी गंभीर हो चुकी थी जिसे देश से बाहर निकालना ही अंबेडकर जी ने अपना कर्तव्य समझा और इसी वजह से उन्होनें इसके खिलाफ मोर्चा छोड़ दिया।

साल 1919 में भारत सरकार अधिनियम की तैयारी के लिए दक्षिणबोरो समिति से पहले अपनी ग्वाही में अंबेडकर ने कहा कि अछूतों और अन्य हाशिए समुदायों के लिए अलग निर्वाचन प्रणाली होनी चाहिए। उन्होनें दलितों और अन्य धार्मिक बहिष्कारों के लिए आरक्षण का हक दिलवाने का प्रस्ताव भी रखा।

जातिगत भेदभाव के खत्म करने को लेकर अंबेडकर – B. R. Ambedkar ने लोगों तक अपनी पहुंच बनाने और समाज में फैली बुराईयों को समझने के तरीकों की खोज शुरु कर दी। जातिगत भेदभाव को खत्म करने और छूआछूत मिटाने के अंबेडकर जी के जूनून से उन्होनें ‘बहृक्रित हिताकरिनी सभा’ को खोजा निकाला। आपको बता दें कि इस संगठन का मुख्य उद्देश्य पिछड़े वर्ग में शिक्षा और सामाजिक-आर्थिक सुधार करना था।

इसके बाद 1920 में उन्होनें कलकापुर के महाराजा शाहजी द्धितीय की सहायता से ‘मूकनायक’ सामाजिक पत्र की स्थापना की। अंबेडकर जी के इस कदम से पूरे देश के समाजिक और राजनीतिक क्षेत्र में हलचल पैदा कर दी थी इसके बाद से लोगों ने भीमराव अंबेडकर को जानना भी शुरु कर दिया था।

डॉक्टर भीमराव अंबेडकर – B. R. Ambedkar ने ग्रे के इन में बार कोर्स पूरा करने के बाद अपना कानून काम करना शुरु कर दिया और उन्होनें जातिगत भेदभाव के मामलों की वकालत करने वाले विवादित कौशलों को लागू किया और जातिगत भेदभाव करने का आरोप ब्राह्राणों पर लगाया और कई गैर ब्राह्मण नेताओं के लिए लड़ाई लड़ी और सफलता हासिल की इन्ही शानदार जीत की बदौलत उन्हे दलितों के उत्थान के लिए लड़ाई लड़ने के लिए आधार मिला।

आपको बता दें कि 1927 में डॉक्टर भीमराव अंबेडकर – B. R. Ambedkar ने छूआछूत मिटाने और जातिगत भेदभाव को पूरी तरह से खत्म करने के लिए सक्रिय रूप से काम किया। इसके लिए उन्होनें हिंसा का मार्ग अपनाने की बजाया, महात्मा गांधी के पदचिन्हों पर चले और दलितों के अधिकार के लिए पूर्ण गति से आंदोलन की शुरुआत की।

इस दौरान उन्होनें दलितों के अधिकारों के लिए लड़ाई की। इस आंदोलन के जरिए अंबेडकर जी नें यह मांग की है सार्वजनिक पेयजल स्त्रोत सभी के लिए खोले जाएं और सभी जातियों के लिए मंदिर में प्रवेश करने की अधिकार की भी बात की।

यही नहीं उन्होनें महाराष्ट्र के नासिक में कलाराम मंदिर में घुसने के लिए भेदभाव की वकालत करने के लिए हिंदुत्ववादियों की जमकर निंदा की और प्रतीकात्मक प्रदर्शन किया।

साल 1932 में दलितों के अधिकारों के क्रुसेडर के रूप में डॉक्टर भीमराव अंबेडकर – B. R. Ambedkar की लोकप्रियता बढ़ती चली गई और उन्होनें लंदन के गोलमेज सम्मेलन में हिस्सा लेने का निमंत्रण भी मिला। हालांकि इस सम्मेलन में दलितों के मसीहा अंबेडकर जी ने महात्मा गांधी के विचारधारा का विरोध भी किया जिन्होनें एक अलग मतदाता के खिलाफ आवाज उठाई थी जिसकी उन्होनें दलितों के चुनावों में हिस्सा बनने की मांग की थी।

किन बाद में वे गांधी जी के विचारों को समझ गए जिसे पूना संधि (Poona Pact) भी कहा जाता है जिसके मुताबिक एक विशेष मतदाता की बजाय क्षेत्रीय विधायी विधानसभाओं और राज्यों की केंद्रीय परिषद में दलित वर्ग को आरक्षण दिया गया था।

आपको बता दें कि पूना संधि पर डॉक्टर भीमराव अंबेडकर और ब्राह्मण समाज के प्रतिनिधि पंडित मदन मोहन मालवीय के बीच सामान्य मतदाताओं के अंदर अस्थाई विधानसभाओं के दलित वर्गों के लिए सीटों के आरक्षण के लिए पूना संधि पर भी हस्ताक्षर किए गए थे।

BR Ambedkar Signature

BR Ambedkar Signature

1935 में अम्बेडकर को सरकारी लॉ कॉलेज का प्रधानचार्य नियुक्त किया गया और इस पद पर उन्होनें दो साल तक काम किया। इसके चलते अंबेडकर मुंबई में बस गये, उन्होने यहाँ एक बडे़ घर का निर्माण कराया, जिसमे उनके निजी पुस्तकालय मे 50 हजार से ज्यादा किताबें भी थी।

डॉक्टर भीमराव अंबेडकर जी का राजनैतिक करियर – B R Ambedkar Political Career

डॉक्टर भीमराव अंबेडकर – B R Ambedkar जी ने साल 1936 में स्वतंत्र लेबर पार्टी की स्थापना की। इसके बाद 1937 में केन्द्रीय विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी ने 15 सीटों से जीत हासिल की। उस साल 1937 में अंबेडकर जी ने अपनी पुस्तक ‘द एनीहिलेशन ऑफ़ कास्ट’ भी प्रकाशित की जिसमें उन्होंने हिंदू रूढ़िवादी नेताओं की कठोर निंदा की और देश में प्रचलित जाति व्यवस्था की भी निंदा की।

इसके बाद उन्होनें एक और पुस्तक प्रकाशित की थी  ‘Who Were the Shudras?’ (‘कौन थे शूद्र) जिसमें उन्होनें दलित वर्ग के गठन की के बारे में व्याख्या की।

15 अगस्त, 1947 में भारत, अंग्रेजों की हुकूमत से जैसे ही आजाद हुआ, वैसे ही उन्होंने अपनी राजनीतिक पार्टी (स्वतंत्र लेबर पार्टी) को अखिल भारतीय अनुसूचित जाति संघ (ऑल इंडिया शेड्यूल) कास्ट पार्टी में बदल दिया। हालांकि, अंबेडकर जी की पार्टी 1946 में हुए भारत के संविधान सभा के चुनाव में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाई थी।

इसके बाद कांग्रेस और महात्मा गांधी ने दलित वर्ग को हरिजन नाम दिया। जिससे दलित जाति हरिजन के नाम से भी जानी जाने लगी लेकिन अपने इरादों के मजबूत और भारतीय समाज से छूआछूत हमेशा के लिए मिटाने वाले अंबेडकर जी को गांधी जी का दिया गया हरिजन नाम नगंवार गुजरा और उन्होनें इस बात का जमकर विरोध किया ।

उनका कहना था कि “अछूते समाज के सदस्य भी हमारे समाज का हिस्सा हैं, और वे भी समाज के अन्य सदस्यों की तरह ही नॉर्मल इंसान है।“

इसके बाद डॉक्टर भीमराव अंबेडकर – B R Ambedkar जी को वाइसराय एग्जीक्यूटिव कौंसिल में श्रम मंत्री और रक्षा सलाहकार नियुक्त किया गया। अपने त्याग और संघर्ष और समर्पण के बल पर वे आजाद भारत के पहले लॉ मिनिस्टर बने, दलित होने के बाबजूद भी डॉक्टर भीमराव अंबेडकर जी का मंत्री बनना उनके जीवन की किसी बड़ी उपलब्धि से कम नहीं थी।

भीमराव अंबेडकर जी ने किया भारतीय संविधान का गठऩ – Constitution of India

डॉक्टर भीमराव अंबेडकर का संविधान के निर्माण का मुख्य उद्देश्य देश में जातिगत भेदभाव और छूआछूत को जड़ से खत्म करना था और एक छूआछूत मुक्त समाज का निर्माण कर समाज में क्रांति लाना था साथ ही सभी को समानता का अधिकार दिलाना था।

भीमराव अंबेडकर जी को 29 अगस्त, 1947 को संविधान के मसौदा समिति के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया। अंबेडकर जी ने समाज के सभी वर्गों के बीच एक वास्तविक पुल के निर्माण पर जोर दिया। भीमराव अंबेडकर – B R Ambedkar के मुताबिक अगर देश के अलग-अलग वर्गों के अंतर को कम नहीं किया गया तो देश की एकता बनाए रखना मुश्किल होगा, इसके साथ ही उन्होनें धार्मिक, लिंग, और जाति समानता पर खास जोर दिया।

भीमराव अंबेडकर साहब शिक्षा, सरकारी नौकरियों और सिविल सेवाओं में अनूसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के सदस्यों के लिए आरक्षण शुरु करने के लिए विधानसभा का समर्थन हासिल करने में भी सफल रहे।

  • भारतीय संविधान ने भारत के सभी नागरिकों को धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार दिया।
  • छूआछूत को जड़ से खत्म किया।
  • महिलाओं को अधिकार दिलवाए।
  • समाज के वर्गों के बीच में फैले अंतर को खत्म किया।

आपको बता दें कि भीमराव अंबेडकर – B R Ambedkar जी ने समता, समानता, बन्धुता एवं मानवता आधारित भारतीय संविधान को करीब 2 साल, 11 महीने और 7 दिन की कड़ी मेहनत से 26 नवंबर 1949 को तैयार कर तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद को सौंप कर देश के सभी नागिरकों को राष्ट्रीय एकता, अखंडता और व्यक्ति की गरिमा की जीवन पद्धति से भारतीय संस्कृति को अभिभूत किया।

संविधान के निर्माण में अपनी भूमिका के अलावा उन्होनें भारत के वित्त आयोग की स्थापना में भी मद्द की। आपको बता दें कि उन्होनें अपनी नीतियों के माध्यम से देश आर्थिक और सामाजिक स्थिति में बदलाव कर प्रगति की। इसके साथ ही उन्होनें स्थिर अर्थव्यवस्था के साथ मुक्त अर्थव्यवस्था पर भी जोर दिया।

वे निरंतर महिलाओं की स्थिति में भी सुधार करने के लिए प्रयासरत रहे। भीमराव अंबेडकर जी ने साल 1951 में, महिला सशक्तिकरण का हिन्दू संहिता विधयेक पारित करवाने की भी कोशिश की और इसके पारित नहीं होने पर उन्होनें स्वतंत्र भारत के प्रथम कानून मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया।

इसके बाद भीमराव अंबेडकर – B R Ambedkar जी ने लोकसभा में सीट के लिए चुनाव भी लड़ा लेकिन वे इस चुनाव में  हार गए। बाद में उन्हें राज्यसभा में नियुक्त किया गया, जिसके बाद उनकी मृत्यु तक वे इसके सदस्य रहे थे।

साल 1955 में उन्होनें अपना ग्रंथ भाषाई राज्यों पर विचार प्रकाशित कर आन्ध्रप्रदेशमध्यप्रदेशबिहारउत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र को छोटे-छोटे और प्रबंधन योग्य राज्यों में पुनर्गठित करने का प्रस्ताव दिया था, जो उसके 45 सालों बाद कुछ प्रदशों में साकार हुआ।

डॉक्टर भीमराव अंबेडकर – B R Ambedkar जी ने निर्वाचन आयोग, योजना आयोग, वित्त आयोग, महिला पुरुष के लिये समान नागरिक हिन्दू संहिता, राज्य पुनर्गठन, बड़े आकार के राज्यों को छोटे आकार में संगठित करना, राज्य के नीति निर्देशक तत्व, मौलिक अधिकार, मानवाधिकार, काम्पट्रोलर और ऑडीटर जनरल, निर्वाचन आयुक्त और राजनीतिक ढांचे को मजबूत बनाने वाली सशक्त, सामाजिक, आर्थिक, शैक्षणिक एवं विदेश नीतियां भी बनाई।

यही नहीं डॉक्टर भीमराव अंबेडकर – B R Ambedkar अपने जीवन में लगातार कोशिश करते रहे और उन्हें अपने कठिन संघर्ष और प्रयासों के माध्यम से प्रजातंत्र को मजबूती देने राज्य के तीनों अंगों न्यायपालिका, कार्यपालिका एवं विधायिका को स्वतंत्र और अलग-अलग किया साथ ही समान नागरिक अधिकार के अनुरूप एक व्यक्ति, एक मत और एक मूल्य के तत्व को प्रस्थापित किया।

इसके अलावा विलक्षण प्रतिभा के धनी भीमराव अंबेडकर जी ने विधायिका, कार्यपालिका एवं न्यायपालिका में अनुसूचित जाति एवं जनजाति के लोगों की सहभागिता भी संविधान द्वारा सुनिश्चित की और भविष्य में किसी भी प्रकार की विधायिकता जैसे ग्राम पंचायत, जिला पंचायत, पंचायत राज इत्यादि में सहभागिता का मार्ग प्रशस्त किया।

सहकारी और सामूहिक खेती के साथ-साथ उपलब्ध जमीन का राष्ट्रीयकरण कर भूमि पर राज्य का स्वामित्व स्थापित करने और सार्वजनिक प्राथमिक उद्यमों और बैकिंग, बीमा आदि उपक्रमों को राज्य नियंत्रण में रखने की पुरजोर सिफारिश की और किसानों की छोटी जोतों पर निर्भर बेरोजगार श्रमिकों को रोजगार के ज्यादा से ज्यादा अवसर प्रदान करने के लिए उन्होंने औद्योगीकरण के लिए भी काफी काम किया था।

 डॉक्टर भीमराव अंबे़डकर का निजी जीवन – B R Ambedkar Short Biography

दलितों के मसीहा कहे जाने वाले डॉक्टर भीमराव अंबेडकर – B R Ambedkar जी ने अपनी पहली शादी साल 1906 में रमाबाई – Ramabai Ambedkar से की थी। इसके बाद दोनों ने एक बेटे को जन्म दिया था जिसका नाम यशवंत था। साल 1935 में रामाबाई की लंबी बीमारी की वजह से मृत्यु हो गई थी।

1940 में  भारतीय संविधान का ड्राफ्ट पूरा करने के बाद भीमराव अंबेडकर – B R Ambedkar जी को भी कई बीमारियों ने जकड़ लिया था जिसकी वजह से उन्हें रात को नींद नहीं आती थी, हमेशा पैरों में दर्द रहता था और उनकी डायबिटीज की समस्या भी काफी बढ़ गई थी जिस वजह से वे इन्सुलिन भी लेते थे।

इसके इलाज के लिए वे बॉम्बे गए जहां उनकी मुलाकात पहली बार एक ब्राह्मण डॉक्टर शारदा कबीर से हुई। इसके बाद दोनों ने शादी करने का फैसला लिया और 1948 को दोनों शादी के बंधन में बंध गए। शादी के बाद डॉक्टर शारदा ने अपना नाम बदलकर सविता अंबेडकर – Savita Ambedkar रख लिया।

डॉक्टर भीमराव अंबेडकर ने अपनाया बौद्ध धर्म – Dr. Bhimrao Ambedkar accepted Buddhism

साल 1950 में भीमराव अंबेडकर – B R Ambedkar एक बौद्धिक सम्मेलन में शामिल होने के लिए श्रीलंका चले गए। जहां जाकर वे बौद्ध धर्म के विचारों से इतने प्रभावित हुए कि उन्होनें बौद्ध धर्म को अपनाने का फैसला लिया और उन्होनें खुद को बौद्ध धर्म में रूपान्तरण कर लिया। इसके बाद वे भारत वापस आ गए।

भारत लौटने पर उन्होनें बौद्ध धर्म के बारे में कई किताबें भी लिखी। वे हिन्दू धर्म के रीति-रिवाज के घोर विरोधी थे और उन्होनें जाति विभाजन की कठोर निंदा भी की है।

साल 1955 में डॉक्टर भीमराव अंबेडकर – B R Ambedkar जी ने भारतीय बौद्ध महासभा का गठन किया और उनकी किताब “बुद्ध या कार्ल मार्क्स” उनके धर्म उनके मरने के बाद प्रकाशित हुई।

Ambedkar Statue

Ambedkar Statue

आपको बता दें कि 14 अक्टूबर, 1956 में डॉक्टर भीमराव अंबेडकर – B R Ambedkar जी ने एक आम सभा का भी आयोजन किया जिसमें उन्होनें अपने करीब 5 लाख अनुयायियों को बौद्ध धर्म में रुपान्तरण किया। इसके बाद डॉक्टर भीमराव अंबेडकर जी काठमांडू में आयोजित चौथी वर्ल्ड बुद्धिस्ट कॉन्फ्रेंस में शामिल हुए। 2 दिसंबर 1956 में उन्होनें अपनी आखिरी पांडुलिपि “बुद्ध या कार्ल मार्क्स” को पूरा किया।

डॉक्टर भीमराव अंबेडकर जी की म़ृत्यु – B R Ambedkar Death

डॉक्टर भीमराव अंबेडकर – B R Ambedkar जी साल 1954 और 1955 में अपनी बिगड़ती सेहत से काफी परेशान थे उन्हें डायबिटीज, आंखों में धुंधलापन और अन्य कई तरह की बीमारियों ने घेर लिया था जिसकी वजह से लगातार उनकी सेहत बिगड़ रही थी।

लंबी बीमारी के बाद उन्होनें 6 दिसंबर 1956 को अपने घर दिल्ली में अंतिम सांस ली, उन्होनें खुद को बौद्ध धर्म में बदल लिया था इसिलिए उनका अंतिम संस्कार बौद्ध धर्म की रीति-रिवाज के अनुसार ही किया गया उनके अंतिम संस्कार में सैकड़ों की तादाद में लोगों ने हिस्सा लिया और उनको अंतिम विदाई दी।

डॉक्टर भीमराव अंबेडकर की जयंती – Ambedkar Jayanti

डॉक्टर भीमराव अंबेडकर – B R Ambedkar दलितों के उत्थान करने लिए और समाज में दिए गए उनके योगदान का जश्न मनाने के लिए, और उनके सम्मान के लिए उनके स्मारक का निर्माण किया गया था। इसके साथ ही उनके जन्मदिन 14 अप्रैल को अंबेडकर की जयंती की नाम से मनाया जाने लगा।

Ambedkar Jayanti

Ambedkar Jayanti

उनके जन्मदिवस वाले दिन को नेशनल हॉलीडे घोषित किया। इस दिन सभी निजी, सरकारी शैक्षणिक संस्थानों की छुट्टी होती है। 14 अप्रैल में मनाई जाने वाली अम्बेडकर जयंती को भीम जयंती (Bhim Jayanti) भी कहा जाता है। उन्होनें देश के लिए अहम योगदान की वजह से आज भी उन्हें याद किया जाता है।

 डॉक्टर भीमराव अंबेडकर के योगदान- Dr Bhimrao Ambedkar Contribution

भारत रत्न डॉक्टर भीमराव अंबेडकर – B R Ambedkar ने अपनी जिंदगी के 65 सालों में देश को सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक, शैक्षणिक, धार्मिक, ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, साहित्यिक, औद्योगिक, संवैधानिक  समेत अलग-अलग क्षेत्रों में कई काम कर राष्ट्र के निर्माण में अहम योगदान दिया।

डॉक्टर भीमराव अंबेडकर जी की किताबें – BR Ambedkar Books

  • पहला प्रकाशित लेख – भारत में जाति : उनकी प्रणाली, उत्पत्ति और विकास है (Castes in India: Their Mechanism, Genesis and Development)
  • इवोल्युशन ओफ प्रोविन्शिअल फिनान्स इन ब्रिटिश इंडिया.
  • जाति के विनाश ((Annihilation of Caste)
  • हू वर द शुद्राज़? (Who Were the Shudras?)
  • द अनटचेबलस: ए थीसिस ऑन द ओरिजन ऑफ अनटचेबिलिटी (The Untouchables: Who Were They and Why They Became Untouchables)
  • थॉट्स ऑन पाकिस्तान (Thoughts on Pakistan)
  • द बुद्ध एंड हिज़ धम्म (The Buddha and His Dhamma)
  • बुद्ध या कार्ल मार्क्स (Buddha Or Karl Marx)

मरणोपरान्त सम्मान – BR Ambedkar Awards

  • डॉक्टर भीमराव अंबेडकर जी की स्मारक दिल्ली स्थित उनके घर 26 अलीपुर रोड में स्थापित की गई है।
  • अम्बेडकर जयंती पर सार्वजनिक अवकाश रखा जाता है।
  • 1990 में उन्हें मरणोपरांत भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया है।
  • कई सार्वजनिक संस्थान का नाम उनके सम्मान में उनके नाम पर रखा गया है जैसे कि हैदराबाद, आंध्र प्रदेश का डॉ. अम्बेडकर मुक्त विश्वविद्यालय, बी आर अम्बेडकर बिहार विश्वविद्यालय- मुजफ्फरपुर।
  • डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा नागपुर में है, जो पहले सोनेगांव हवाई अड्डे के नाम से जाना जाता था।
  • अम्बेडकर का एक बड़ा आधिकारिक चित्र भारतीय संसद भवन में प्रदर्शित किया गया है।

डॉक्टर बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर से जुड़े कुछ रोचक तथ्य, जिनके बारे में शायद ही आप जानते होगे – Facts about Ambedkar

  • भीमराव अंबेडकर अपने माता-पिता के चौदहवीं और आखिरी बच्चे थे।
  • डॉ. अम्बेडकर – B R Ambedkar का मूल नाम अम्बावाडेकर था। लेकिन उनके शिक्षक, महादेव अम्बेडकर, जो उन्हें बहुत मानते थे, ने स्कूल रिकार्ड्स में उनका नाम अम्बावाडेकर से अम्बेडकर कर दिया।
  • बाबासाहेब मुंबई के गवर्नमेंट लॉ कॉलेज में दो साल तक प्रिंसिपल पद पर कार्यरत रहे।
  • डॉक्टर भीमराव अम्बेडकर – B R Ambedkar की शादी 1906 में 9 साल की रमाबाई से कर दी गई थी , वहीं 1908 में वे एलफिंस्टन कॉलेज में दाखिला लेने वाले पहले दलित बच्चे बने।
  • डॉक्टर भीमराव अम्बेडकर को 9 भाषाएं जानते थे उन्होनें 21 साल तक  सभी धर्मों की पढ़ाई भी की थी।
  • डॉक्टर भीमराव अम्बेडकर के पास कुल 32 डिग्री थी। वो विदेश जाकर अर्थशास्त्र में PHD करने वाले पहले भारतीय भी बने। आपको बता दें कि नोबेल प्राइज जीतने वाले अमर्त्य सेन अर्थशास्त्र में इन्हें अपना पिता मानते थे।
  • भीमराव अंबेडकर पेशे से वकील थे। वो 2 साल तक मुंबई के सरकारी लॉ कॉलेज के प्रिंसिपल भी बनें।
  • डॉ. बी. आर अम्बेडकर – B R Ambedkar भारतीय संविधान की धारा 370, (जो जम्मू और कश्मीर को विशेष दर्जा देता है) के खिलाफ थे।
  • बाबासाहेब अम्बेडकर विदेश जाकर अर्थशास्त्र डॉक्टरेट की डिग्री हासिल करने वाले पहले भारतीय थे।
  • डॉ. अम्बेडकर ही एक मात्र भारतीय हैं जिनकी portrait लन्दन संग्रहालय में कार्ल मार्क्स के साथ लगी हुई है।
  • इंडियन फ्लैग में अशोक चक्र को जगह देने का श्रेय भी डॉ. अम्बेडकर को जाता है।
  • B R Ambedkar Labor Member of the Viceroy’s Executive Council के सदस्य थे और उन्ही की वजह से फैक्ट्रियों में कम से कम 12-14 घंटे काम करने का नियम बदल कर सिर्फ 8 घंटे कर दिया गया था ।
  • वो बाबासाहेब ही थे जिन्होंने महिला श्रमिकों के लिए सहायक Maternity Benefit for women Labor, Women Labor welfare fund, Women and Child, Labor Protection Act जैसे कानून बनाए।
  • बेहतर विकास के लिए 50 के दशक में ही बाबासाहेब ने मध्य प्रदेश और बिहार के विभाजन का प्रस्ताव रखा था, पर सन 2000 में जाकर ही इनका विभाजन कर छत्तीसगढ़ और झारखण्ड का गठन किया गया।
  • बाबासाहेब को किताबें पढने का बड़ा शौक था, माना जाता है कि उनकी पर्सनल लाइब्रेरी दुनिया की सबसे बड़ी व्यक्तिगत लाइब्रेरी थी, जिसमे 50 हज़ार से अधिक पुस्तकें थीं।
  • डॉ. अम्बेडकर बाद के सालों में डायबिटीज से बुरी तरह ग्रस्त थे।
  • भीमराव अंबेडकर ने हिन्दू धर्म छोड़ते समय 22 वचन दिए थे जिन्होनें कहा था कि, मै राम और कृष्ण, जो भगवान के अवतार माने जाते हैं उनकी कभी पूजा नहीं करूंगा।
  • 1956 में अंबेडकर जी ने अपना धर्म परिवर्तन कर बौद्ध धर्म अपना लिया था वे हिन्दू धर्म की रीति-रिवाजों और जाति विभाजन के विरोधी थे।
  • डॉक्टर भीमराव अंबेडकर – B R Ambedkar ने 2 बार लोकसभा चुनाव लड़ा था और दोनों बार वे हार गए।

डॉक्टर भीमराव अंबेडकर जी का समाज के लिए किए गए अनगिनत योगदान के लिए उन्हें हमेशा याद किया जाएगा। उन्होनें उस समय दलितों की  हक के लिए लड़ाई लड़ी जब दलितों को अछूत मानकर उनका अपमान किया जाता था। खुद भी उनके दलित होने की वजह से उन्हें कई बार निरादर का सामना करना पड़ा लेकिन वे कभी हिम्मत नहीं हारे और विपरीत परिस्थितियों में उन्होनें खुद को और भी ज्यादा मजबूत बना लिया और सामाजिक और आर्थिक रुप से देश की प्रगति में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया जिसके लिए वे हमेशा याद किए जाएंगे।

Sunday, April 3, 2022

लोकप्रिय बाल कविता हिंदी में (Poems)

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चूहे की बारात

Bal Kavita In Hindi


चूहे की बारात चली है,
धूम धाम के साथ चली हैं।
मेंढक गिरगिट बने बराती,
चले नाचते सुघड़ मुहाती।


चुहिया के घर आई बारात,
आते-आते हो गयी रात।
खूब छके सबने पकवान,
भाँति भाँति के मेवा मिष्टान।


चूहा बोला दुल्हन लाओ,
उसको मण्डप में बैठाओ।
नही चाहिए हमें दहेज,
दहेज से हमको है परहेज।


हम चूहो ने कसम है खायी,
दहेज न लेगा कोई भाई।
दहेज बहुत बड़ा अभिशाप,
इससे बड़ा नही कोई पाप।


चुहिया रानी खूब लजाती,
बैठी मण्डप में शरमाती।
चुहिया संग ले फेरे सात,
वापस घर आई बारात।
तारा दत्त जोशी


मेंढकी रानी

Bal Kavita In Hindi


दुल्हन बनी मेंढकी रानी,
दूल्हा मेंढक राजा।


गड़गड़-गड़गड़ बादल जी ने,
खूब बजाया बाजा।


तड़तड़- तड़तड़ बिजली चमकी,
भागा दूल्हा राजा।


कूदा , उछला कुएं मे जाकर,
बोला दुल्हन आजा।

बोली दुल्हन मटक-मटककर,
डरो न दूल्हे राजा।


चलो घूमने कुएं से बाहर,
सैर करेंगे आजा।


दुनिया बड़ी बहुत सुंदर है,
ओ-मेरे दूल्हे राजा।


देखेंगे कम्प्यूटर पिक्चर,
हवा खायेंगे ताजा।


दुनिया बदली हम बदलेंगे,
पियेंगे लस्सी माजा।


नहीं बनेंगे कुएं मेंढक
तू ही बाहर आजा।


निकला कुँए से बाहर मेंढक ,
नाचे रानी राजा।
डॉ. सुधा गुप्ता


भालू की फुलवारी

Bal Kavita In Hindi


भालू जी ने रंग-बिरंगे,
सुन्दर फूल लगाये।
फूल खिले तो तितली भौरे,
फूलों पर मँडराये।।


उन फूलों को देख-देखकर,
भालू जी खुश होते।
एक दिवस आ गए वहाँ पर,
हरे-हरे कुछ तोते।।


उन तोतों ने कुतर-कुतर कर,
सारे फूल गिराए।
एक फूल भी बचा नहीं तो,
भालू जी गुस्साए।।


उनका गुस्सा देख-देखकर,
तोते उन्हें चिढ़ाते।
'गुस्सा करना उचित नहीं है।
भालू को समझाते।।
डॉ. निलोकी सिंह


बाल मुक्तक

Bal Kavita


सदा किताबें देती ज्ञान।
पढ़-पढ़कर बनते विद्वान।
जो चाहो वह जानो समझो,
भाषा, गणित, धर्म, विज्ञान।


आओ हम सब वृक्ष लगायें।
सुखद मनोहर धरा बनायें।
वृक्ष रोकते वायु प्रदूषण,
जीवन में खुशहाली लायें।


साहस दृढ़ता होती जिनके।
मंजिल पास सदा है उनके।
सीखा नहीं हार मानना,
जीत पास आती है चलके।


होते सदा वृक्ष अनमोल।
कौन चुकाता उनका मोल।
वृक्ष लगाना और बचाना,
देना सबसे ऐसा बोल।


सूरज आता सदा जगाने।
आती चिड़ियां गीत सुनाने।
लगता हमको कितना अच्छा,
मम्मी आती हमें उठाने।
कैलाश त्रिपाठी


बंदर को जुकाम

Bal Kavita 


हद से ज्यादा खाये आम।
तब बंदर को हुआ जुकाम ।।


ठंडा गरम साथ में खाता।
ऊपर से पानी पी जाता।।


खूब नहाता सुबहोशाम।
तब बंदर को हुआ जुकाम ।।


छींक छींककर सर चकराया।
टूटा बदन ताप भी आया ।।


नाक हो गई उसकी जाम।
तब बंदर को हुआ जुकाम ।।


बंदर ने भालू बुलवाया।
भालू ने काढ़ा पिलवाया।।


मला माथ पर झंडू बाम।
तब छू मंतर हुआ जुकाम ।।
डॉ. कैलाश सुमन


गौरैया का घर

Bal Kavita In Hindi


मेरे छत के ऊपर उस दिन,
गुमसुम बैठी थी गौरैया।
कभी उछलती-कभी फुदकती,
रोज चहकती थी गौरैया।


पूछा मैंने चिड़िया रानी,
गुमसुम ऐसे क्यों बैठी हो।
करती थी तुम चूं-धूं हरदम,
आज नहीं कुछ तुम बोली हो।


मैंने देखा उस कोने में,
चिड़िया का घर गिरा पड़ा था।
तेज हवा के कारण शायद,
कोने में वह उड़ा पड़ा था।


लेकर सारे तिनके मैंने,
उसके घर को पुनः बनाया।
धीरे से हाथों में लेकर,
चिड़िया को उसमें बैठाया।
रेखा भारती मिश्रा


सूरज दादा गुस्सा है

Short Bal Kavita In Hindi


सूरज दादा गुस्सा है,
धरती माता रूठी है।


मछली जल की रानी है,
बात सरासर झूठी है।


झूठी है जी झूठी है,
सारी नदियां सूखी है।


सूखी है भई सूखी है,
नहर बावड़ी सूखी है।


अब पीने को पानी ना,
मछली जल की रानी ना।


‌‌ रानी ना जी रानी ना,
ताल तलैया पानी ना।


प्रभो, हमको पानी दे,
पानी दे जिंदगानी दे।


सब बच्चों ने जोड़े हाथ,
बादल हमको दे बरसात।
राजूराम बिजारणियां


राष्ट्रीय पक्षी मोर

Bal Kavita


किस कदर सुन्दर मनोहर,
लगता है ये मोर।
गगन में घन देख कर,
नाच उठता है मोर।।


इसके मस्तक पर,
सुसज्जित कलगी प्यारी।
इसके परों की आभा,
भी कितनी निराली।।


अपने मुकुट में प्रभु भी,
सजाते हैं इसका पंख।
राजा इसकी आकृति का,
बनवाते हैं सिंहासन।।


कें, कें करके गुंजरित,
करता है ये वन।
इसकी शोभा से सुशोभित,
होते हैं उपवन।।


कीट, सर्प, फल-फूल,
का है मोर पक्षी।
मोर भारत का बना है,
राष्ट्रीय पक्षी।।
रेनू भटनागर



हाथी आया झूम कर

Bal Poem


हाथी आया झूम कर,
गली-मुहल्लों में घूमकर।


लम्बी सूंड घुमाता,
चौड़े कान हिलाता।


आंखें है इसकी छोटी,
मनों कांच की हो गोटी।


खंभे जैसे पांव है चार,
हाथी चले बीच बाजार।
पूर्णिमा मित्रा


चंदा मामा

Bacchon Ke Liye Kavita


चन्दा मामा चन्दा मामा
रात में क्यों तुम आते हो
दिन भर कहीं घूमते रहते,
धूप से या डर जाते हो।


उजला उजला रँग तुम्हारा
कहीं न काला पड़ जाए।
दिन में छिप कर रहते हो क्या
छाला कहीं न पड़ जाए।


सूरज जैसे घर को जाता,
झट बाहर आ जाते हो
अपने संग हजारों तारे
आसमान बिखराते हो।


मेरी सारी गर्मी हरते
ठंडी हवा चलाते हो
पानी से नहला कर इनको
ठंडा ठंडा बनाते हो।


माँ कहती मामा हो सबके,
फिर भेट नहीं क्यों लाते हो।
कभी कभी पूरे दिखते हो
कभी कहीं छिप जाते हो।
गीता गुप्ता


कौआ और लोमड़ी

Bal Kavita In Hindi


कौआ रोटी कहीं से लाया,
रखकर मुंह में वह हर्षाया,
तभी आ गई वहाँ लोमड़ी,
मन उसका भी था ललचाया।


कहे लोमड़ी कौआ भइया।
कूक राग के तुम्हीं गवैया
कोई नया राग तुम छेड़ो
नाचेंगे हम ता ता थैय्या।


बातों में फिर कौआ आया,
कोयल बनने को ललचाया,
चोंच खोलते रोटी गिर गयी,
जिसे लोमड़ी ने चट खाया।


ठग जाने ठग ही की भाषा,
लेकिन कौआ समझ न पाया
एक बार जब अवसर आया,
बुद्धिमान ने धोखा खाया।
डॉ. प्रदीप चित्रांशी


चींटी रानी

Bal Poem In Hindi


चींटी रानी चींटी रानी
कर्मठता का ना कोई सानी।
हर पल चलती रुकती ना जो
सतत प्रयत्न की जिसने ठानी।


स्वार्थ जिसको छू ना पाता
उसका सहकार से नाता।
जीवन जीने की रीति सुहानी
चींटी रानी चींटी रानी।


मिलकर खाती ना उकताती,
बीस गुना जो वजन उठाती।
करती ना वो कभी मनमानी
चींटी रानी चींटी रानी।


संचय करना जिसे सुहाता
लीक से हट चलना ना आता।
मीठे की जो रही दीवानी
चींटी रानी चींटी रानी
व्यग्र पाण्डे



नेताजी

Bal Kavita In Hindi


एक बहुत मोटा सा बंदर,
अपनी टोली का वह नेता।


पेड़ से वह ढेरों फल तोड़े,
टोली के लोगों को देता।


टोली संग ही वह चलता,
आगे ही बढ़ कर रहता।


ढेला व पत्थर से कोई मारे,
पहले खुद ही वह सहता।


बच्चे जब भी उसे चिढ़ाते,
कुछ बच्चों को न कहता।


बड़े उसे जब मारने आते
तब काटने को वो दौड़ता।


टोली के संग ही,
पेड़ों पर मस्ती वह करता।


आम अमरुद अंगूर सभी,
मिल बांट कर वह खाता।
लाल देवेंद्र कुमार


बिटिया रानी

Bal Kavita


मेरी बिटिया रानी
कर पढ़ाई तू मन से
डरना मत
कभी भी किसी से
तू भी एक दिन
तारों की तरह चमकेगी
भी एक दिन
मुश्किलों से जीतेगी।


मेरी बिटिया रानी
जीवन के हर मोड़ पर हंसना
चाहे हो मुश्किल
तुम मुस्कारते रहना।


मेरी बिटिया रानी
तुम्हारी जिंदगी में भी
आयेंगी बाधाएं यकीनन
पर रखना यह विश्वास खुद पर
बाधाएं होती हैं
चंद दिनों की मेहमान
रखना इस बात का सदैव ध्यान।
संदीप कुमार


सर्दी आई

Bal Kavita In Hindi


सर्दी आई, आई सर्दी,
ठंड की पहने वर्दी।


सबने लादे ढेर से कपड़े,
चाहे दुबले चाहे तगड़े।


नाक हो गई लाल,
सुकड़ी सबकी चाल।
अधिराज सिंह राजावत


सच बोलो

Bal Kavita In Hindi


मुख जब खोलो,
सच-सच बोलो,
सच से फिर तुम
कभी भी न डोलो।


झूठ हमेशा
जमकर हारा,
सच का जब भी,
खुला पिटारा।


झूठ लुभाता,
सत्य डराता,
सबको फिर भी,
सच ही भाता।


सत्यमेव
जयते का नारा,
क्या जाने ये
झूठ बिचारा।


सत्य की जीत,
झूठ की हार
ऐसा होता,
हर इक बार।
महेंद्र कुमार वर्मा


स्कूल चले हम

Bal Kavitaen


स्कूल चलें हम, स्कूल चलें
सब मौज मस्ती भूल चलें,
अब आयी बारी पढ़ने की,
भविष्य अपना गढ़ने की।


नई किताबें नई हैं पैंसिल
बेमतलब की छुट्टी कैंसिल,
पिछले बरस से भी अच्छे
अंक लाएंगे हम सब बच्चे।


नया-नया जमेट्री बॉक्स है
नया-नया है बस्ता सबका,
स्कूल भेज रहा बच्चों को
भारत का हर इक तबका।


मैडम जी ने उम्मीद जताई
करेंगे हम सब खूब पढ़ाई,
छुट्टियों के दिन बीत चलें
स्कूल चलें हम स्कूल चलें।
पुखराज सोलंकी


मन करता है

Short Bal Kavita In Hindi


मन करता है सूरज बनकर,
आसमान में दौड़ लगांऊ।


मन करता है चंदा बनकर,
सब तारों पर अकड़ दिखाऊं।



मन करता है बाबा बनकर,
घर में सब पर धौंस जमाऊं।


मन करता है पापा बनकर,
मैं भी अपनी मूंछ बढाऊं।


मन करता है तितली बनकर,
दूर-दूर उड़ता जाऊ।


मन करता है कोयल बनकर,
मीठे-मीठे बोल सुनाऊं।


मन करता है चिड़िया बनकर,
ची-चीं चूं-चूं शोर मचाऊं।


मन करता है चर्खी लेकर,
पीली-लाल पतंग उड़ाऊ।
सुरेन्द्र विक्रम


धरती स्वर्ग बनाएँ

Bal Kavita In Hindi


बच्चे हम नन्ने-मुन्ने
आगे बढते जाएँ,
भेदभाव नहीं रखें
साथ खेले खाएँ।


पढ़-लिखकर हम अपना
जीवन सुखी बनाएँ,
दुनिया की चिन्ताएँ फिर
कैसे हमे सताएँ।


हम ही जीवन की बाती
अंधकार को दूर भगाएँ,
अपने घर की ज्योति बन
खुशियाँ खूब लुटाएँ।


नफरत की दीवार गिरा कर
सबको गले लगाएँ,
सब आपस में प्यार बांटकर
धरती स्वर्ग बनाएँ।
अब्दुल समद राही


बाल कविता

Bal Kavita In Hindi


बस्ते का ढोना पड़ता है
हमको प्रतिदिन बोझ।


नखरों पर भी, विद्यालय को
जाना पड़ता रोज।


खूब मस्तियाँ करने के हम
देखा करते ख्वाब।


किंतु उठानी पड़ती हमको
मोटी- छपी किताब।


डाँट लगाती हैं मम्मी जी
हमको सुबहो-शाम।


बाकी रह जाता है जब भी
विद्यालय का काम।
अनुज पाडेय


जल की रानी

Baccho Ki Bal Kavita


एक मगरमच्छ पानी में
लपक रहा था मछली,
चकमा देकर मछली भागी
मजा चखाया असली।


खूब छकाया, खूब थकाया
आई न उसके हाथ,
नन्ही-सी मछली ने दे दी
मगरमच्छ को मात।


पानी में अब मगरमच्छ जी
घात लगाकर बैठे,
मछली के चक्कर में उसने
दस केकड़े ऐंठे।


समझ गये थे मगरमच्छ जी
मछली बड़ी सयानी,
इसीलिए जग सारा कहता
मछली जल की रानी।
पुखराज सौलंकी


बादल भैया आयेंगे

Bal Kavita


गुस्सा थूको, सूरज दादा।
क्रोध नहीं अच्छा है ज्यादा।।
छप्पर छानी छायेंगे।
छाया में बैठायेंगे।।


तंग पसीना करने आता।
चिपचिप चिपचिप खूब मचाता।।
दिन में चैन न पायेंगे।
रातें टहल बितायेंगे।।


संग हवा के चले गये हैं।
बादल भैया छले गये हैं।।
शादी करके आयेंगे।
दुल्हन प्यारी लायेंगें।।


खूब मचेगी धूम-धड़ाका।
तड़-तड़तड़-तड़तड़क-तड़ाका।।
बाराती बन जायेंगे।
गीत खुशी के गायेंगे।।


जीभ अधर पर फेर रही है।
विद्युत दमक बिखेर रही है।।
बादल भैया आयेंगे।
वर्षा रानी लायेंगें।।
दिलीप कुमार पाठक "सरस"


चिड़िया बोली

Bal Kavita Hindi Mein


सुबह हुई तो चिड़िया बोली
उठो-उठो प्यारी गुडिया!
तुम्हें जगाने आई देखों
परी लोक से मैं चिड़िया।


सूर्यदेव ने फैलाई हैं
सुन्दर-सी स्वर्णिम किरणें।
सारे जग पर एक सवेरा
सुन्दर पुनः लगा तिरने।


उठ जाओ, ओ प्यारी गुड़िया!
बनो न आलस की पुडिया।
ताजी हवा चल रही सन-सन
प्राणवायु बाँटे सबको।


उठो और अपने पर खोलो
उठो और छू लो नभ को।
जाओ! चलो! नहाओ-घोओ
और पढ़ो फिर ओ कुड़िया।


ज्ञान भरी ये गजब किताबें
काश! कभी मैं पढ़ पाती।
चिड़िया हूँ गुड़िया होती तो
मैं भी आगे बढ़ पाती।


हिंदी, अंग्रेजी, पंजाबी
और कभी पढ़ती उड़िया।
फिर भी भाए मुझे चहकना
जी भर कर मुस्कती हूँ।


जीवन जो पाया ईश्वर से
मस्त चहकती जाती हूँ।
पढ़-लिखकर तुम खूब चहकना
और महकना ओ गुड़िया।
गौरव वाजपेयी


बरसे पानी

Bal Poem


बिजली चमके कड़-कड़-कड़,
मेघा गरजे गड़-गड़-गड़।


झींगुर करते सी - सी - सी,
मेढक करते टर- टर - टर।


झूमे तरुवर मस्ती में,
चले पुरवैया सर-सर-सर।


धरती की प्यास बुझाने,
बरसे पानी झर झर - झर।
केशव दिव्य


किसान गिलहरी

Bal Poem In Hindi


चली गिलहरी खेती करने
कौआ काका नहीं मिला
खेती अब वह जोते कैसे
हल, हलवाहा नहीं मिला।


गयी गिलहरी भालू के घर
ट्रैक्टर के लिए किया आग्रह
किसी तरह से जोतवाया
पर जोताई के पैसे कहां मिले।


सब कुछ महंगा तेल भी महंगा
हुई जोताई बहुतै महंगा
राजा शेर सिंह को अर्जी डाला
कुछ भी उत्तर नहीं मिला।


गिलहरी ने एक बैठक बुलायी
जंगल के सब रहे किसान
भालू, चीता अरू लोमड़ भाई
खबर मिली शेर सिंह को
गुस्साये भौंहे तान।


लगा दिया है पोटा सब पर
जितने थे जंगल के किसान
खेती सारी परती हो गयी
हाल बेहाल सब हुए किसान।
सतीश बब्बा   

बच्चे की अभिलाषा

Bal Kavita In Hindi


अभी तो चलना सीखा
सीखा नहीं है बतियाना,
कुछ दिन करने दो नादानी
अभी नहीं मुझको पढ़ना।


हँसने दो खेलने दो
खुले आसमान में उड़ने दो,
मत करो बंद पिंजरे में
मेरे सुंदर से बचपन को।


कुछ दिन यूँ ही रहने दो
मिट्टी का रंग भी चढ़ने दो,
पानी में हो अपनी नाव
हवा में जहाज उड़ाने दो।


जहाँ मम्मी मुझे पढ़ाए
ना हो ट्यूशन जाना,
गर पापा मुझे डाँट लगाएँ
दादी करे कोई बहाना।


होमवर्क हो जहाँ थोड़ा सा
थोड़ी सी हो किताबें,
भारी बैग नहीं उठाना
ऐसा हो स्कूल अपना।
रंजना डुकलान


बाल कविता

Bacchon Ke Liye Kavita


अगर जानती गाना तितली
लिए तानपुरा फिरता
तब पवन बाग़ में
पत्तों का तबला भी
बजता संग राग में।


कान फूल सब लगवा लेते
अगर जानती गाना
तितली।


मोर नाचता पैरों में
धुंघरू बंधवा कर
डेरा वहीं डालता
काला भौंरा जा कर।


अजब हाल कोयल का
होता
अगर जानती गाना
तितली।


रेल

Bal Kavita Hindi Poems


छुक-छुक आती-जाती रेल
पों-पों हॉर्न बजाती रेल।
इस डिब्बे से उस डिब्बे में,
आपाधापी ठेलमठेल रेल।।


दो पटरी पर चलती रेल,
सरपट दौड़ लगाती रेल।
गेट पर बैठा टाइमकीपर,
लाल, हरी झंडी दिखाती रेल।।


खानों से कारखानों तक
झटपट आती-जाती रेल।
माल ढोकर आती रेल,
ढोकर माल जाती रेल।।


बच्चे मन के होते सच्चे,
खेल रेल का खेलमखेल।
मुन्नी बिटिया बड़े मजे से
सफर करती रेलमरेल।।


सामान ढोना हुआ आसान,
आसान हुआ आवागमन।
आय के हैं प्रमुख साधन,
देश की आय बढ़ाती रेल।।
महेन्द्र साहू'खलारीवाला'


सूरज और हवा

Bal Kavita In Hindi


चिडिया बोली तितली डोली,
बच्चों ने अब आँखें खोली।


सूरज ने किरणें बिखराई,
शुद्ध हवा ने ठंडक घोली।


डाली में कलियाँ शरमाई,
तोते ने भी टेर लगाई।


डूबा चंदा तारे छिप गये,
मेंढक भी अब टर्र-टर्र बोली।


फूलों ने अब चूंघट खोला,
काँव-काँव कर कौआ बोला।


फुदक रहा है बछड़ा देखो,
में में करती बकरी भोली।


हिलमिल कर रहते हैं सारे,
धरती माँ के बच्चे प्यारे।


अच्छा काम हो नाम बड़ा,
यह कहते माँ हँसकर बोली।
कमल सिंह चौहान


जादू की छड़ी

 Bal Poem In Hindi


लंबी, काली, ठिठुरन वाली रातें
बीत जाती, जैसे कल की हो बातें।


सूरज की गर्मी फिर सताती है
मेघों की बरबस याद आती है।


उत्सुक हो मां से पूछता हूं
यह जादू की छड़ी कौन चलाता है।


बदल जाते हैं कैसे मौसम प्यारे
दिन को सूरज और रात को तारे।


भरता है फूलों में रंग कौन
पंछी को गाना सिखलाता कौन।


मां बतलाती, ईश्वर की लीला गूढ़
मैं अज्ञानी, ठहरा फिर भी मूढ़।


जिद करता, ईश्वर मुझे दिखलाओ
चांद वहां क्यों, मेरे पास लाओ।
कविता विकास


मिलकर सोचें

Bal Poem


मिलकर बैठें, मिलकर सोचें,
बातें करें विकास की।


आपस में हो भाईचारा।
मन हो ज्यों मन्दिर-गुरुद्वारा।


रहे भावना भरी मनों में,
मस्ती औ' उल्लास की।


अलग-अलग हों रंग सभी के।
अलग-अलग हों ढंग सभी के।


फिर भी रहे एकता सब में,
डोरी हो विश्वास की।


नापें धरती उड़ें गगन में।
संकल्पों का बल हो मन में।


स्वर्ग बनाना है धरती को,
आशा करें उजास की।
डॉ. रामनिवास 'मानव'



बया पंछी

Bal Kavita


बया पंछी बड़ा ही प्यारा,
दूर-दूर तक जाता।
अपना सुंदर नीड़ बनाने,
तिनके चुनकर लाता।


लालटेन-सा नीड़ पेड़ पर,
हरदम रहता लटका।
वर्षा-आंधी या आतप हो,
नहीं किसी का खटका।


नन्हा-सा यह बया सयाना,
बुनकर भी कहलाता।
मेहनत और लगन से अपना,
अनुपम नीड़ बनाता।


बया घोंसला बुनता रहता,
गीत खुशी के गाता।
जीवट से जीवन जीने की,
सबको सीख सिखाता।
उदय मेघवाल


करते तुम्हें प्रणाम

Bal Kavita In Hindi


आलस हमको घेरे रहती
ठहरे हैं सब काम
जुगत बताओ हाथी दादा
करते तुम्हें प्रणाम।


सुबह-सुबह उठकर करना है
मात-पिता का ध्यान
"सूर्य नमन" के बारह आसन
हैं कितने आसान।


रहना सदा निरोग अगर है
करना प्राणायाम
जुगत बताओ हाथी दादा
करते तुम्हें प्रणाम।


नीड़ बनाती कैसे चिड़िया
मधुमक्खी है छत्ता
कैसे चूहे माँद बनाकर
रहते हैं अलबत्ता।


ऐसी हुनर हमें क्या मालूम
जाने अल्ला-राम
जुगत बताओ हाथी दादा
करते तुम्हें प्रणाम।
पेन्टर मदन


कहां खो गये हम

Bal Kavita In Hindi


यह दुनिया थी कितनी सुंदर
जब पानी जैसा
साफ था नीला समंदर
अब तो कचरा है।


दुनिया में यहां-वहां
यह खो गये हम कहां
जब सच्चे थे सबके इरादे
जुड़े थे दिल से सबके नाते।


अब तो जहर है
उगलता सबके यहां
कुछ नहीं सोचते
लालच के अलावा
सबकुछ तो।


लिख रहा है ऊपरवाला
हो गया कलयुग
यह सारा जहां
यह खो गये हम कहां।
रितोश्री कार


मन भावन जामुन

Bal Kavita


खट्टी-मीठी बड़ी रसीली,
मनभावन जामुन।
गर्मी के मौसम में आती,
खाकर खुश हो जाता मन।


बैंगन जैसा रंग है इसका,
काली-काली दिखती स्याम।
इम्युनिटी भी बहुत बढ़ाती,
रोग का नहीं कोई है नाम।


चमत्कार इसका तुम देखो,
खाते ही हो जाती आंखें बंद।
नमक से स्वादिष्ट बन जाता,
खाओ इसको रोज रजामंद।


राजमन, जमाली, ब्लेकबेरी,
अलग प्रांत में इसके नाम।
कई रोगों में काम आता,
इसका प्यारा जामुन नाम।
डॉ नवीन दवे मनावत


कुत्ते से भिड़त

Bal Poem


खेल रहे थे हम
अपनी गली में क्रिकेट
बदनसीबी तो देखो
टूट गया विकेट
जोश में मार दिये।


जोर का हम चौका
नुक्कड़ पर बैठा कुत्ता
भाऊ-भाऊं कर भौंका
कुत्ता बोला- अब तो हम
लेकर रहेंगे बदला।


एक सीटी पर ही
चार और को बुलाया
पूरे मोहल्ले में खूब
हमको वह भगाया।


बोला वह- लेना चाहिए
बराबर से ही पंगा
वरना उसके साथ नहीं
कुछ भी होगा चंगा।
गणपत हिमांशु


चंदा मामा

Bacho Ki Kavita In Hindi


चंदा मामा आओ ना।
संग अपने ले जाओ ना।
आसमान में ढेरों तारे।
झिलमिल-झिलमिल करते सारे।


नीले-नीले अंबर की,
मुझे भी सैर कराओ ना।
चंदा मामा आओ ना।
संग अपने ले जाओ ना।


बादल काका चलते जाते।
घुमड़-घुमड़ कर नाच दिखाते।
जाकर बीच बादलों के,
आंख-मिचोली खिलाओ ना।


चंदा मामा आओ ना।
संग अपने ले जाओ ना।
रैन बसेरा यहाँ जमाते।
दिन में कहां सैर पर जाते?


इसका राज जरा हमको,
जल्दी-जल्दी बताओ ना।
चंदा मामा आओ ना।
संग अपने ले जाओ ना।
रीनू पाल


उन्मुक्त गगन के पंछी

Bal Kavita


वह देखो उन्मुक्त गगन में
खग कैसे अपने पंख लहरा रहे
मंडरा रहे बादलों के जैसे
बिजली-सी कलाबाजियां खा रहे।


उन्हें नहीं है कल की चिंता
किसी की माल हड़पकर खाने की
उन्हें नहीं तनिक भी जल्दी
गगनचुंबी अट्टालिकाएं बनाने की।


जिधर जी करता उड़ जाते हैं
चुग दाना वापस नीड़ चले आते हैं
जो थक जाते अगर कभी तो
जहां आश्रय मिला वहीं सो जाते हैं।


मानव क्यों पग में बेड़ी डाले
कुढ़-कुढ़ कर अपना जीवन जीता है
रखकर गिरवी अपनी आत्मा
वह लोभ-लालच का गरल पीता है।


तोड़ के मोह-माया का बंधन
उन्मुक्त गगन के पंछी बन जाओ
भूल के कल की चिंता मानव
जल्दी बंदी जीवन से मुक्ति पाओ।
गोपेंद्र कु सिन्हा गौतम

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