Wednesday, June 23, 2021

Verb (क्रिया) in Hindi And English Definition and types- क्रिया की परिभाषा एंव भेद

                                   Verb (क्रिया) – Definition और Example | Verb in Hindi

अंग्रेजी भाषा में शुद्धता लाने के लिए Verbs से परिचित होना अनिवार्य है, क्रियाएं मुख्यतः वाक्य को दिशा देने का कार्य करते हैं जो कर्ता के कार्य, अनुभव, चेतना, स्थिति एवं अस्तित्व का परिचय देता है.

Verbs (क्रियाएँ) 

The Verb is a word used to express some action, feeling or existance. It tells us something about the subject in a sentence. 

Verb एक शब्द है जिसका प्रयोग कुछ कार्य, भावना या अस्तित्व को व्यक्त करने के लिए किया जाता है. यह हमें एक वाक्य में विषय के बारे में कुछ बताता है.

Or

The word which tells something about a person, thing or place is called Verb. 

जो शब्द किसी व्यक्ति, वस्तु, स्थान इत्यादि के बारे में कुछ बताता है, Verb कहलाता है.

Example:- 

  • Soni reads a book.
  • Ankit eats sweets.
  • I feel cold.
  • Dasrath was a great king.

English Language मे Verb को दो Major Classes में बांटा गया है.

  1. Main / principal / Full / Ordinary / Lexical Verbs
  2. Auxiliary / Helping Verbs 

Main Verb (मुख्य क्रिया)

मुख्य क्रिया को लेक्सिकल क्रिया या प्रधान क्रिया भी कहा जाता है। यह शब्द मुख्यतः वाक्य में महत्वपूर्ण क्रिया को संदर्भित करता है, जो आमतौर पर विषय के होने की क्रिया या स्थिति को दर्शाता है. मुख्य क्रियाएं वाक्य में अकेले भी खड़ी हो सकती हैं, या उनका उपयोग सहायक क्रिया के साथ भी किया जा सकता है.

  • I had seen the movie before.
  • I want to learn English.
  • He lives in Delhi.
  • They  play.

Main Verb की संख्या असीमित होते है इसलिए इनका पांच रूप होता है. 

Full VerbV1V2V3V4V5
To Gogowentgonegoinggoes
To Eateatateeateneatingeats
To Writewritewrotewrittenwritingwrites
To Putputputputputtingputs
To Readreadreadreadreadingreads
To Playplayplayedplayedplayingplays

Main Verb की कोई सीमा नही है लेकिन इसकी अपनी एक पहचान है जिसे आसानी से पहचाना जा सकता है. 

पहचान:-

किसी भी अंग्रेजी शब्द के Meaning के अंत में “ना” आए तो वह Main Verb का उदाहरण होता है. जैसे:-

  • Go = जाना
  • Come = आना
  • Play = खेलना
  • Take = लेना
  • Give = देना
  • Read = पढ़ना

Main Verb दो प्रकार के होते है.

  1. Finite Verbs (परिमित ,सीमित ,नियत)
  2. Non-Finite Verbs (अपरिमित ,असीमित ,अनियत)

Finite Verbs

A finite verb is that which is limited to the number, person and tense of its subjects.

Or

A finite verb is that which changes its form according to the numer, person and tense of its subject.

Or

A finite verb is that which agrees with the number, person and tense of its subject. 

Finite Verb का अर्थ सीमित होता है, यानी Finite वह Verb है जो सब्जेक्ट के Person, Number और Tense के अनुसार अपने आप को सीमित रखता है.

 दूसरे शब्दों में, Finite Verb अपने सब्जेक्ट के Number, Person और Tense के साथ बदल जाता है या अपने सब्जेक्ट के Number, Person और Tense के साथ Agree करता है. 

For Example:- 

  • I am a teacher.
  • He is a student.
  • They are players.
  • You are singers.

दिए गए वाक्यों में “am”, “is”, तथा “are finite verbs है, क्योंकि ये Verbs अपने Subjects के Number और Person के साथ सिमित है.

विस्तार से समझने के लिए एक दूसरा उदाहरण लेते है. 

  • He lives in Delhi.
  • I live in Patna.
  • They live in Lucknow.

इस उदाहरण में live एक Finite Verb है, क्योंकि यह अपने Subject के Number और Person के साथ Agree करता है. इसीलिए Subject “He” के साथ इसमें “S” जोड़ा गया है.

 

Non-Finite Verb

A non-finite verb is that which is not limited to the number, person and tense of its subject.

Or

A non-finite verb is that which does not change its form according to the number, person and tense of its subject.

Or 

A non-finite verb is that which does not agree with the number, person and tense of its subject.

Non-Finite Verb का अर्थ सिमित नही होता है यानि Non-Finite वह Verb है जो अपने Subject के Number और Person के साथ सिमित नही रहता है.

Example:- 

  • I want to learn English.
  • He wants to learn English.
  • They want to learn English.

Sentences में want, wants और want finite verb है जबकि to learn non-finite Verb. to learn non-finite verb इसलिए है क्योंकि यह अपने subject के Number और Person के साथ Agree नही करता है. यानि Different subjects (I, He और They) के साथ इसका Same form ही रहता है. 

Note:- 

Non-finite Verb को मुख्यतः तिन वर्गों में विभाजित किया है जो इस प्रकार है. 

  1. Infinitive
  2. Participle
  3. Gerund

तीनो Not-Finite Verb का अध्ययन आगे करेंगे. 

Finite Verbs को दो वर्गों में बाँटा गया है. 

  1. Transitive Verb (सकर्मक क्रिया)
  2. Intransitive Verb (अकर्मक क्रिया)
1. Transitive Verb (सकर्मक क्रिया) 

A transitive verb is a Verb that denotes an action which passes over from doer or subject to an object. 

सकर्मक एक क्रिया है जो एक विशेष क्रिया को दर्शाता है जो किसी वस्तु से कर्ता या संपूर्ण विषय से होकर गुजरता है.

  • Rani sang a song.
  • He Wrote a letter.
  • Chiku likes sweets.

तीनो वाक्यों में तिन अलग-अलग Verb क्रमशः sang, wrote और likes का प्रयोग किया गया है. इन Verbs के द्वारा action का फल केवल Subjects पर ही नही पड़ा, बल्कि एनी शब्द पर भी पड़ता है. यानि Verbs द्वारा denotes action को तो प्रभावित करते ही है साथ ही साथ Objects भी प्रभावित करते है. 

2. Intransitive Verb (अकर्मक क्रिया)

An Intransitive Verb is a verb that denotes an action which does not pass over to an object or that does not require an object. 

Intransitive एक क्रिया है जो एक क्रिया को दर्शाती है जिसका प्रभाव केवल सब्जेक्ट पर ही पड़ता है. 

Example:- 

  • Guddu laughs.
  • Dogs bark.
  • Birds fly.

दिए गए वाक्यों में Verbs द्वारा denotes action का फल subject से ही आरम्भ होकर subjects पर समाप्त हो जाता है इसलिए इसे Intransite Verb कहा जाता है

Auxiliary/ Helping Verbs (सहायक क्रिया)

Auxiliary or Helping Verbs are those that help the main verbs in the formation of tenses. 

सहायक क्रियाएं वे हैं जो काल के निर्माण में मुख्य क्रियाओं की सहायता करती हैं.

For Example:- 

  • Aditi is eating rice.
  • They have written a letter.
  • Amritansh will play cricket.
  • You don’t help the poor.
  • Satyajit is operating the computer.
  • Madhu is talking to Rajani.

दिए गए वाक्यों में Main Verb “eating, written, play आदि की tense के फार्मेशन में सहायता कर रहे है.इसलिए “is, have, do” आदि Auxiliary Verbs है. 

Auxiliary Verbs दो प्रकार के होते है.

  1. Primary Auxiliaries
  2. Modal Auxiliaries

Auxiliary Verbs के दोनों वर्गों का विस्तार से अध्ययन आगे करेंगे.

Note:-

Auxiliaries Verbs की संख्या 24 होती है, जिसमे 11 Primary Auxiliaries Verbs और Modal Auxiliaries Verbs होते है. 

AuxiliariesPresentPast
BeIs / are / amWas / Were
DoDo / DoesDid
HaveHave / HasHad
CanCanCould
MayMayMight
ShallShallShould
WillWillWould
MustMustX
Ought toOught toX
Need toNeedX
Used toXUsed to
DareDareX

Primary Auxiliaries के अंतर्गत आने वाले Verbs निम्न है.

  1. Verb “to be” = is, are, am, was and were
  2. Verb “to do” = do, does and did
  3. Verb “to have = have, has and had

Modal Auxiliaries के अंतर्गत आने वाले Verbs निम्न है.

Can, could, may, might, shall, should, will, would, must, ought to, need, used to and dare. 

Note:-

  1. Do के किसी भी रूप के साथ V1 का प्रयोग किया जाता है.
  2. Modal Auxiliaries Verbs किसी वाक्य के Subject के Number और Person से प्रभावित नही होता है. 
  3. Modal Auxiliaries Verbs का प्रयोग बिना main Verb के नही किया जा सकता है. 

                                                                 >>>समाप्त<<<

 

 

 

 

 

 

                   ( दूसरी परिभाषा मे भी क्रिया समझ सकते हे )

क्रिया किसे कहते हैं? 

जिस शब्द से किसी काम का करना या होना समझा जाय, उसे क्रिया कहते है।
जैसे- पढ़ना, खाना, पीना, जाना इत्यादि।
दूसरे शब्दों में - क्रिया का एक अर्थ कार्य करना होता है। जिन शब्दों या पदों से यह पता चले की कोई कार्य हो रहा है या किया जा रहा है उसे क्रिया कहते हैं।

व्याकरण में कोई भी वाक्य क्रिया के बिना पूरा नहीं होता है। इसे भी व्याकरण का एक विकारी शब्द माना जाता है | इसका रूप लिंग, वचन और पुरुष के कारण बदलते हैं। प्रत्येक भाषा के वाक्य में क्रिया का बहुत महत्त्व होता है। प्रत्येक वाक्य क्रिया से ही पूरा होता है। क्रिया किसी कार्य के करने या होने को दर्शाती है। क्रिया हमें समय सीमा के बारे में संकेत देती है। क्रिया के रूप की वजह से हमें यह पता चलता है की कार्य वर्तमान में हुआ है, भूतकाल में हो चूका है या भविष्यकाल में होगा।
वाक्य में क्रिया का इतना अधिक महत्त्व होता है कि कर्ता अथवा अन्य योजकों का प्रयोग न होने पर भी केवल क्रिया से ही वाक्य का अर्थ स्पष्ट हो जाता है; जैसे-
(1) पानी लाओ।
(2) चुपचाप बैठ जाओ।
(3) रुको।
(4) जाओ।
अतः कहा जा सकता है कि, जिन शब्दों से किसी काम के करने या होने का पता चले, उन्हें क्रिया कहते है।
क्रिया का निर्माण धातू से होता है। जब धातू में ना लगा दिया जाता है, तब क्रिया बनती है।
धातु -
जिस मूल रूप से क्रिया को बनाया जाता है उसे धातु कहते है। यह क्रिया का ही एक रूप होता है। धातु को क्रिया का मूल रूप कहते हैं।
जैसे -
खा + ना = खाना
पढ़ + ना = पढ़ना
जा + ना = जाना
लिख + ना = लिखना

 Types of Verbs in Hindi and Examples - क्रिया के भेद और उदाहरण

क्रिया के भेद जानने से पहले हमें कर्ता, कर्म और क्रिया को अच्छे से समझना अति आवश्यक है।
कर्ता – काम करने वाले को कर्ता कहते हैं।
जैसे -
रमा खाना बना रही है|
सीता झाड़ू लगा रही है|
उपर्युक्त वाक्यों में रमा‚ सीता के द्वारा कार्य किया जा रहा है अर्थात् रमा के द्वारा खाना बनाने का कार्य किया जा रहा है‚ वही दूसरे वाक्य में सीता द्वारा झाडू लगाने का कार्य किया जा रहा है अतः रमा‚ और सीता कर्ता है।
कर्म – कर्ता जो काम करता है, उसे कर्म कहते हैं।
जैसे –
रमा खाना बना रही है।
उपर्युक्त वाक्य में कर्ता (रमा) के द्वारा “खाना” बनाने का कार्य किया जा रहा है, अतः कर्म है “खाना”।
कर्म को जानने के लिए हम क्रिया पर “क्या” ”किसको” का प्रश्न करते है।
रमा खाना बना रही है|
प्रश्न – रमा क्या बना रही है?
उत्तर – खाना (कर्म)
सीता झाड़ू लगा रही है|
प्रश्न – सीता क्या लगा रही है ?
उत्तर – झाड़ू (कर्म)
एक ही वाक्य में कर्ता, कर्म और क्रिया को किस तरह पहचाननेगे? उदाहरण देखिए -
वेदांत फल खाता है|
(कर्ता) (कर्म) (क्रिया)
प्रश्न- कौन फल खाता है?
उत्तर- वेदांत (कर्ता)
प्रश्न- वेदांत क्या खाता है?
उत्तर– फल (कर्म)
प्रश्न- वेदांत फल का क्या करता है?
उत्तर- खाता है (क्रिया) 

कर्म के आधार पर क्रिया के भेद

कर्म की दृष्टि से क्रिया के निम्नलिखित दो भेद होते हैं -
1. अकर्मक क्रिया
2. सकर्मक क्रिया

1. अकर्मक क्रिया
अकर्मक क्रिया का अर्थ होता है, कर्म के बिना या कर्म रहित। जिन क्रियाओं को कर्म की जरूरत नहीं पडती और क्रियाओं का फल कर्ता पर ही पड़ता है, उन्हें अकर्मक क्रिया कहते हैं।
दूसरे शब्दों में - जिन क्रियाओं का फल और व्यापर कर्ता को मिलता है उसे अकर्मक क्रिया कहते हैं।
जैसे - तैरना, कूदना, सोना, उछलना, मरना, जीना, रोना, हँसता, चलता, दौड़ता, होना, खेलना, बैठना, मरना, घटना, जागना, उछलना, कूदना आदि।
उदहारण -
(i) वह चढ़ता है।
(ii) वे हंसते हैं।
(iii) नीता खा रही है।
(iv) पक्षी उड़ रहे हैं।
(v) बच्चा रो रहा है।

2. सकर्मक क्रिया
सकर्मक का अर्थ होता है, कर्म के साथ या कर्म सहित। जिस क्रिया का प्रभाव कर्ता पर न पड़कर कर्म पर पड़ता है उसे सकर्मक क्रिया कहते हैं। अथार्त जिन शब्दों की वजह से कर्म की आवश्यकता होती है उसे सकर्मक क्रिया होती है।
सरल शब्दों में- जिस क्रिया का फल कर्म पर पड़े, उसे सकर्मक क्रिया कहते है।
जैसे -
(i) वह चढाई चढ़ता है।
(ii) मैं खुशी से हँसता हूँ।
(iii) नीता खाना खा रही है।
(iv) बच्चे जोरों से रो रहे हैं।

 

संरचना या प्रयोग के आधार पर क्रिया के भेद

संरचना या प्रयोग के आधार पर क्रिया के भेद इस प्रकार हैं-
मुख्य क्रिया, सहायक क्रिया, रंजक क्रिया, संयुक्त क्रिया, सरल क्रिया, नामिक क्रिया, नामधातु क्रिया, प्रेरणार्थक क्रिया, पूर्वकालिक क्रिया, अनुकरणात्मक क्रिया

1- Mukhya Kriya - मुख्य क्रिया
क्रिया का एक अंश जो मुख्य अर्थ प्रदान करता है, उसे मुख्य क्रिया कहते हैं अथवा कर्ता या कर्म के मुख्य कार्यों को व्यक्त करने वाली क्रिया ‘मुख्य क्रिया’ कहलाती है।
जैसे -
1. राधा दूध लाई।
2. मोहन ने दुकान खोली।
उपर्युक्त वाक्यों में ‘लाई’और ‘खोली’शब्द ही ‘कर्ता’या ‘कर्म के मुख्य कार्यों को व्यक्त कर रहे हैं, अतः ये मुख्य क्रियाएँ हैं।

2- Sahayak Kriya - सहायक क्रिया
सहायक क्रिया उसे कहते हैं जो क्रिया पदबंध में मुख्य अर्थ न देकर उसकी सहायक हो अर्थात् मुख्य क्रिया के अलावा जो भी अंश शेष रह जाता है, उसे सहायक क्रिया कहते है।
जैसे -
1. पिताजी अख़बार पढ चुके हैं।
2. माता जी खाना बनाने लगीं।
उपर्युक्त वाक्यों में मुख्य क्रिया ‘पढ़’तथा ‘बनाने’के साथ ‘चुकी और ‘लगीं’सहायक क्रियाएँ जुड़ी हैं।
उदाहरण -
लड़के क्रिकेट खेल चुके हैं।
मुख्य क्रिया - खेल
सहायक क्रिया - चुके हैं

3- Ranjak Kriya - रंजक क्रिया
जब कोई क्रिया मुख्य क्रिया के साथ जुड़कर मुख्य क्रिया को और प्रभावशाली बनाती है, तब वह रंजक क्रिया कहलाती है। प्रत्येक रंजक क्रिया का प्रयोग प्रत्येक मुख्य क्रिया के साथ नहीं किया जा सकता।
जैसे -
1. महेश को रोना आ गया।
इसमे ‘आना’‘अतिशयता बोधक’है।
रोना = मुख्य क्रिया
गया = सहायक क्रिया
आना = रंजक क्रिया

2. वह अधिकतर घूमा करता है।
घूमा = मुख्य क्रिया
है = सहायक क्रिया
करना = अभ्यास बोधक
उपरोक्त वाक्य में (क्रिया) ‘करता’रंजक क्रिया है जो मुख्य क्रिया के साथ जुड़कर जो उसे प्रभावशाली बना रहा है।

4- Sanyukt Kriya - संयुक्त क्रिया
हिंदी में क्रिया कभी एक पद द्वारा प्रकट होती है और कभी एक से अधिक पदों द्वारा।
1. मोहन आया
इसमें आया क्रिया एक पद वाली है।
2. मोहन आ चुका है।
उपरोक्त में आ चुका है में तीन पद हैं = आ + चुका + है।
अतः हम कह सकते है कि जब दो या दो से अधिक क्रियाएँ आपस में मिलकर एक पूर्ण क्रिया बनाती हैं, तो उन्हें संयुक्त क्रिया कहते हैं।
जैसे -
(1) मैं दिल्ली गया था।
(2) सीता पढ़ रही है।
- उपर्युक्त पहले वाक्य मे दो क्रियाएँ है = गया + था।
- दूसरे वाक्य में तीन क्रियाएँ मिलकर = पढ़ + रही + है।
- इस प्रकार एक से अधिक क्रिया होने तथा उसका संयुक्त रूप प्रयुक्त होने के कारण ये संयुक्त क्रियाएँ है।

5- Saral Kriya - सरल क्रिया/मूल क्रिया
सरल क्रिया उसे कहते हैं जो भाषा में रूढ शब्दों की तरह प्रचलित होती है। इस क्रिया का हम मूल क्रिया भी कहते हैं। क्योंकि न तो यह क्रिया किसी अन्य क्रिया से व्युत्पन्न हुई है और न ही एक से अधिक क्रिया रूपों के योग से बनी है इसीलिए इसे हम मूल क्रिया कहते हैं।
जैसे – आना, जाना, लिखना, पढ़ना आदि।

 

6- Namik Kriya - नामिक क्रिया/मिश्र क्रिया
मिश्र क्रिया के अंतर्गत पहला अंश संज्ञा, विशेषण या क्रियाविशेषण का होता है तथा दूसरा अंश क्रिया का होता है।

जैसे -

संज्ञा अंश वाली मिश्रक्रिया -
मूलांश + क्रियाकर = मिश्रक्रिया
याद + आना = याद आना
भूख + लगना = भूख लगना

विशेषण अंश वाली मिश्र क्रिया
मूलांश + क्रियाकर = मिश्रक्रिया
बुरा + लगना = बुरा लगना
सुंदर + दिखना = सुंदर दिखना

क्रियाविशेषण अंश वाली मिश्र क्रिया
मूलांश + क्रियाकर = मिश्र क्रिया
बाहर + करना = बाहर करना
भीतर + करना = भीतर करना

7- Nam Dhatu Kriya - नामधातु क्रिया
संज्ञा, सर्वनाम तथा विशेषण शब्दों के अंत में प्रत्यय लगाकर जो क्रिया बनती है, उसे नामधातु क्रिया कहते हैं।

संज्ञा शब्द से -
फि़ल्म + आना = फि़ल्माना
दुख + ना = दुखना

विशेषण शब्द से -
साठ + इयाना = सठियाना
गरम + आना = गरमाना

सर्वनाम शब्द से -
अपना + आना = अपनाना

8- Prernarthak Kriya - प्रेरणार्थक क्रिया
जहाँ कर्ता अपना कार्य स्वयं न करके किसी अन्य को कार्य करने की प्रेरणा देता है, वहाँ प्रेरणार्थक क्रिया होती है।
जैसे -
पिता ने बेटे से अख़बार मँगवाया।
मालकिन नौकरानी से सफाई करवाती है।
उपर्युक्त वाक्यों में कर्ता स्वयं अपना काम न करके किसी अन्य से कार्य करवा रहे हैं।
-प्रथम वाक्य में पिता स्वयं अखबार न लाकर बेटे से मँगवा रहे हैं।
-वही दूसरे वाक्य में भी मालकिन स्वयं सफाई न करके नौकरानी से करवा रही है, अतः प्रेरणार्थक क्रिया है।

9- Purvkalik Kriya - पूर्वकालिक क्रिया
वह क्रिया जिसका पूरा होना दूसरी क्रिया से पूर्व पाया जाता है, उसे पूर्वकालिक क्रिया कहते हैं, अर्थात् मुख्य क्रिया से पहले होने वाली क्रिया पूर्वकालिक क्रिया कहलाती है। पूर्व आने वाली क्रिया मूल धातु के साथ ‘कर’ लगाकर बनती है।
जैसे -
1. गीता ने सुनकर कविता लिखी।
इस वाक्य में ‘लिखी’से पहले ‘सुनकर’क्रिया का प्रयोग हुआ है। अतः ये पूर्वकालिक क्रिया है।

10- Anukaranatamak Kriya - अनुकरणात्मक क्रिया

जो क्रिया रूप ऐसी धातुओं से बनते हैं, जो ध्वनियों के अनुकरण पर या पूर्व ध्वनि के अनुकरण पर बनती हैं। ऐसी क्रियाओं को अनुकरणात्मक क्रियाएँ कहा जाता है।
जैसे –
चीं-चीं = चिंहियाना
झन-झन = झनझनाना
थप-थप = थपथपाना

 

 

 

 

No comments:

Post a Comment

राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड 10वीं व 12वीं दोनों की परीक्षाए एक साथ 6 मार्च से होगी शुरू

बोर्ड परीक्षा की तारीखों में किया गया बदलाव, 10वीं-12वीं की मुख्य परीक्षा अब एक साथ 6 मार्च से होंगी शुरू, राजस्थान शिक्षक पात्रता परीक्षा (...